
हमारी जिंदगी के सुख की अनुभूति इस पर निर्भर नहीं करती कि हमारे पास क्या है?
और कितना है?
अनुभूति वह एहसास है।जिसे हम अपने दिल में संजोकर रखना चाहते हैं।
हमने उन अनुभूति को महसूस करने के लिए क्या-क्या किया?
क्या कितना धन खर्च किया?
वह याद नहीं रहता पर वह पल याद रहते हैं। जो हमने साथ बिताए। हमारी जिंदगी के हसीन पल, अच्छी यादें।
और साथ ही हमारी जिंदगी की अमीरी, गरीबी, अच्छा, बुरा, समय यह भी नहीं पता कि कल सुबह हम जागेंगे या नहीं।
क्या हम कल का सूरज देखेंगे।
जिंदगी में हमें हर पल कभी ना कभी उतार-चढ़ाव और उथल-पुथल वाली परिस्थितियों से गुजर नहीं पड़ता है।
हमारी जिंदगी के अच्छे दिन या बुरे दिन और उन दिनों की बिताई हुई यादें और यादों की जो अनुभूति होती है।उन्हें कभी नहीं भूल पाते।
हर पल बदलते वक्त और हालात कभी तो पैसा ही पैसा होता है।और कभी घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है।
कभी-कभी अमीर होते हुए भी खुशियों से मरहूम रहते हैं। और कभी गरीब होते हुए भी मस्ती में खुश रहते हैं।
कितने रंग देखते हैं जिंदगी के हर समय कुछ अलग ही रंग दिखाई पड़ता है।
हमारे साथ किसी ने अच्छा किया। हम हमेशा याद करते रहते हैं। उसकी अनुभूति हमेशा रहती है।
पर किसी ने बुरा किया। वह भी नहीं भूल पाते। वह भी अलग ही अनुभूति होती है।
1. अपने बेटे के रोने का पहला स्वर की अनुभूति।
2. पहली बार मम्मी बोलने और सुनने की अनुभूति।
3. पहली बार जब मैंने कविता बोली। अपने पापा के लिए और वह तालियों की गड़गड़ाहट उसकी अनुभूति मेरे कानों में गूंजती रहती है।
4.गरीबी हटाने की अनुभूति तो मुझे हर पल खुश रखती है। उसके लिए किया हुआ परिश्रम, कोशिशें, मेहनत और सब की अनुभूति मेरे शरीर में रची बसी है।
पर हम जो कर सकते हैं। उनके लिए जो हमारे माता-पिता हैं। उनको भी तो कुछ अच्छे अनुभूतिया दे सकते हैं।
1 उन्हें तीर्थ ले जाकर
2 उन्हें मंदिर ले जाकर
3 उनके साथ अच्छा समय बिता कर
4 उनके हालचाल को ध्यान से सुन कर
5 उनकी मनोदशा जानकर
6 उनके दिल की सुनकर
7 उनको उनकी पसंद की पिक्चर अपने साथ दिखा कर
8 उनको किसी अच्छे से होटल में ले जाकर उनकी पसंद का खाना खिलाकर
एक अलग ही सुख की अनुभूति करा सकते हैं। जिसके बारे में वह सोचते हैं।पर किसी से कहते नहीं।और सोच कर दुखी होते हैं।
उनके दुखों को सुख में बदलने की अनुभूति के लिए हम कुछ तो कर ही सकते हैं।