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जिंदगी की किताब

अपडेट करने की तारीख: 10 फ़र॰ 2022




जिंदगी की किताब,

में कितने पन्ने।

हर पन्ने में लिखा,

एक नया रिश्ता।

कुछ चाहे रिश्ते,

कुछ अनचाहे से।



कुछ मिले पर,

कुछ ज़बरदस्ती मिलते गए।

और उनको निभाना,

ना बताया किताब में।

बस पलटते रहो,

पन्ने अपनी जिंदगी के।

कुछ देखकर,

अनदेखे बन गए हैं।

कुछ जानकर,

अनजान बन गए हैं।

संभालना ना बताया,

जिंदगी की किताब में।

जितना पढ़ा मगर,

कुछ समझ ना आया।

जो रिश्ता कभी होता,

प्यारा पाया, पल में पराया।

जो होते थे, जान से प्यारे,

उन्हें मुंह फेर कर मुस्कुराता पाया।

जो ना जुदा होने,

की कसमें खाते थे ।

उन्हें पल में गवाया,

जितना पढ़ा पर समझ नहीं आया ।

कोई शिक्षक होता,
जो पढ़ाता जिंदगी की किताब को।

समझाता है हर रिश्ते,

प्यार और जिंदगी को।

बताता जिंदगी को,
जिंदगी की उलझन को।

बताता, जो पन्ना पसंद,

ना आया, उसका क्या?

फाड़ दूँ ,या जला दूँ,

या फेंक दूँ , जिंदगी से।

या सहता रहूँ ,

उसके अनवरत गमों को।

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