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ज़िन्दगी जीने की कला


रूस में एक सम्राट था।उसको अपने वजीर से बड़ी परेशानी थी।वह सोचता था कि उससे कैसे बदला ले।उसको कैसे दुख पहुंचाए। इसलिए उसने अपने बड़े वजीर को फांसी की आज्ञा दे दी।


जिस दिन के लिए फाँसी की आज्ञा दी थी उस दिन उसका जन्मदिन था।घर में बहुत मेहमान आए हुए थे।भोज का आयोजन था।


उसकी तैयारियां हो रही थी। वजीर के घर पर लोगों ने डेरा डाल दिया। उन्होंने वजीर को कहा कि सम्राट ने कहा कि आज शाम 6:00 बजे उसको फाँसी दी जाएगी।


सब लोगों में उदासी छा गई। घर में जो नाच गाना चल रहा था। वह सब एकदम रुक गया। सभी वादकों ने नाच गाना बंद कर दिया।एकदम सन्नाटा छा गया।


उसने सोचा भी नहीं था कि जिस दिन उसका जन्मदिन होगा। उसी दिन उसका मरण दिन भी हो जाएगा।


परंतु वह उठ खड़ा हुआ। उसने कहा कि तुम कोई भी वाद्य यंत्र बंद मत करो।आज मैं खुद नाचूंगा क्योंकि आखरी दिन है।


फिर इसके बाद मुझे और कोई दिन नहीं मिलेगा।अभी शाम होने में बहुत देर बाकी है।


और इसको इस तरह उदासी से नहीं बिताया जा सकता। अगर हमारे पास बहुत दिन होते तो हम उदास हो सकते थे।अब हमारे पास वक्त नहीं है।


इसलिए जितना वक्त है। उतना हमको खुशी से बिताना है।और वह नाचने लगा। मौत उसके सामने खड़ी थी। पर वो खुशी मना रहा था।


वाद्य यंत्र बज नहीं पा रहे थे।वजीर ने कहा तुम उदास क्यों हो ?


वे कहने लगे मौत सामने खड़ी है। कैसे खुशी मनाएं ?


वजीर ने कहा जो मौत के सामने देख कर खुशी नहीं मना सकता। वह जिंदगी में कभी खुशी नहीं मना सकता क्योंकि रोज ही मौत सामने खड़ी होती है।


यह पक्का कहाँ होता है कि किसी को कब मरना है। किसी का वक्त कभी भी आ सकता है की आज ही उसको जाना है।


आज सांझ को मर जाऊंगा। हर साल मर सकता था।और सुबह मर सकता था। जिस दिन पैदा हुआ था। उस दिन भी मर सकता था।


पैदा होने के बाद सिर्फ एक ही डर था मृत्यु का। जो वह कभी भी आ सकती है।


मौत तो हर दिन खड़ी होती है। मौत सामने है। अगर मौत को सामने देखकर खुशी नहीं मना सकता।


तो कैसे खुशी मनायेगा।पता है जो मौत के सामने खड़े होकर ख़ुशी मना सकते हैं उसके लिए मौत समाप्त हो जाती है।


उससे मौत हार जाती है। जो मौत के सामने खड़ा होकर हँस सकता है।


वजीर तो नाचने लगा। वाद्ययंत्र कमजोर हाथों से नहीं बज पा रहे थे।रास्ते पर नाचता नाचता यहां अब जितना प्रेम में कर सकता हूं करलूँ।


जितना प्रेम तुम दे सकते हो दे दो क्योंकि अब जितना भी समय है।उसमें जो कर सकते हैं खुशी मनाने के लिए अभी हम वही करेंगें।


सम्राट आया। वजीर नाच रहा था।धीरे-धीरे उस घर की सोई हुई आत्मा फिर जाग गई। बाजे बजने लगे। गीत चल रहा था। सम्राट हैरान हो गया।


उसने वजीर से पूछा तुम्हें पता चल गया कि शाम को तुम्हारी मौत होने वाली है। और तुम हंस रहे हो। गा रहे हो।


उसका आपको धन्यवाद इतने आनंद से मैं कभी नहीं भरा था। जितना आज भर गया हूं।


और आपकी कृपा से आपने आज ही के दिन यह खबर भेजी ।आज सब मित्र मेरे पास है। जो मेरे से प्रेम करते हैं। जिन्हें मैं प्रेम करता हूं। इससे अच्छा दिन तो कोई हो ही नहीं सकता।


इतने निकट प्रेमियों के बीच मर जाने से बड़ा सौभाग्य कोई नहीं हो सकता। आपकी कृपा आपका धन्यवाद ।आपने जो शुभ दिन चुना आज मेरा जन्मदिन भी है।


और मुझे पता ही नहीं था बहुत जन्मदिन मनाए पर इतना खुशियों से भरा हुआ कोई भी जन्मदिन नहीं था।

आज मैं पूरा खुशी से भरा हुआ हूं ।आपका कैसे धन्यवाद करूं। मैं यह सोच रहा हूं ।सम्राट खड़ा रह गया।


उसने कहा ऐसे आदमी को फांसी लगाना व्यर्थ है क्योंकि मैंने तो सोचा था मैं उसे दुखी कर सकूंगा ।वह तो दुखी नहीं है।


तुम्हें तो मौत भी दुखी नहीं कर सकती। तो फांसी पर ले जाना व्यर्थ है ।


तुम्हें जीने की कला मालूम हो गई। मौत वापस लौट जाती है। मालूम है कि वह नहीं मार सकता।


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