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ज़िंदगी हारने का नाम नहीं,

जिंदगी में यूँ हार मान लेना,

तो अच्छा नहीं।

हार गए तो क्या मौके,

और भी है जिंदगी में।

मौको को ना देख,

जिंदगी से हार जाना अच्छा नहीं।

कुश्ती में एक नंबर,

कम क्या आ गया।

तुम जिंदगी गवाँ बैठे यह अच्छा नहीं।

जरा सी मुश्किल क्या आई?

कैसे हताश हो गए?

इतनी मुश्किल से मिली,

जिंदगी हारनाअच्छा नहीं।

हर मुश्किल जीत सकते हो,

बात कर सकते हो,कोशिश तो करो,

पहले ही हार मान लेना अच्छा नहीं।

कुदरत ने हीं तो तुम्हें,

सब कुछ बेशुमार दिया है।

पर उसका प्रयोग ना कर,

बैठ जाओ,अच्छा नहीं।

शरीर के हर अंग को,

बेमिसाल बेशकीमती दिया,

इतने पर भी जमाने के मुश्किलात,

से हार जाओ अच्छा नहीं।

एक रास्ता बंद हो गया तो,

क्या रुक जाओगे?

सिर पकड़ बैठ जाओगे,

ना ढूंढो दूसरा रास्ता,अच्छा नहीं।

जिस जिंदगी को फालतू,

समझ खो देते हो,

उसके हर अंग की कीमत,

अनमोल ना समझो,अच्छा नहीं।

यह जिंदगी ही हर,

मुश्किल का हल है समझो,

तुम लड़े बिना कोशिश,

के हार मान लो अच्छा नहीं।

हर मुश्किलात हालात,

का हल भी होता है।

उसे मुकम्मल में ना,

लाना चाहो अच्छा नहीं।

आज भी याद है,कुछ दिन पहले,

आयशा ने जिंदगी गवाईं,

काश कुछ सोचा होता,

समझा होता,जो जान हार,

मान के गवाईं,अच्छा नहीं।

क्यों हम इतनी जल्दी साथ छोड़ देते हैं?

क्यों हम मजबूत नहीं हो सकते हें?

क्यों हम इतनी जल्दी हार मान लेते हैं?

क्यों एक रास्ता बंद देख,

दुनिया खत्म जान लेते हैं?

क्यों हम जिंदगी को,

एक मौका और नहीं देते?

क्यों गमों को दिल से दूर नहीं करते?

क्यों हम लड़े बिना,

कीमती जीवन खो देते ?

क्यों किसी की परवाह,

में जीवन भर रो लेते हैं?

कहीं तो यह सब रोकना होगा।

कहीं तो हारने के बाद,

जीत भी होती है,जानना होगा।

कहीं तो रास्ते बदलने होंगे।

कहीं तो साहस रखना होगा।


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