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जिंदगी और मौत


अगर हम कल्पना करें जिंदगी में, 

ईश्वर ने आज बुला लिया अपने घर में।

याद आए सारे वादे जो परिवार से किए,

घूमने जाएंगे,वक्त बिताएंगे,साथ में जिए।

दौलत कमाने में सब कुछ भूल गए,

जिंदगी का आनंद उठाना भूल गये।

“दौलत”वह तो आपके परिवार को मिलेगी,

पर सारी दौलत से क्या जिंदगी बचेगी?

खरीद सकेंगे वह पल जो साथ बिताने थे,

खरीद सकेंगे सारे सुख जो साथ मिलने थे।

उन फूलों की खुशबू जो कभी महसूस ना की।

वह अच्छे काम जो आप कभी कर ना पाए।

वह दर्द जो कभी खत्म ना हुए कमाने के लिए,

वह सपने जो परिवार के लिए सच ना कर पाए।

वह समय जो अपनों के साथ आप ना बिता पाए,

वह पल जो शांति से अपने लिए कभी जीना पाए।

यह कल्पना ही आपको झकझोर देगी,

यह तुम यकीन करो,सोए हो तो नींद उड़ा देगी।

यह कल्पना नहीं दस्तक है,समझने की।

अभी दिल धड़क रहा है,यह सब सोचिए।

अब क्या करना है?कैसे जीना जरूर देखिए?

सिर्फ यही सोच कर खुश हो जाइए।

की चिंता नहीं आप अभी जिंदा है।

अभी समय है।आप जो नहीं कर पाए,

वह पूरा कर सकते हैं।

“सद्गुरु के द्वारा आप हर घंटे में,

अपने को याद दिलाएं आप नश्वर हैं।

और खुश हो जाएं,

पर आप अभी जिंदा है।

क्या खुश रहने के लिए यह काफी नहीं?

कि आप अभी जिंदा हैं।”

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